Shopping cart

  • Home
  • Blog
  • जहाँ स्वयं शिव-पार्वती ने किया था विवाह: त्रिजुगीनारायण- डेस्टिनेशन वेडिंग का हॉटस्पॉट
Blog

जहाँ स्वयं शिव-पार्वती ने किया था विवाह: त्रिजुगीनारायण- डेस्टिनेशन वेडिंग का हॉटस्पॉट

जहाँ स्वयं शिव-पार्वती ने किया था विवाह: त्रिजुगीनारायण- डेस्टिनेशन वेडिंग का हॉटस्पॉट
Email :10

जहाँ स्वयं शिव-पार्वती ने किया था विवाह: त्रिजुगीनारायण- डेस्टिनेशन वेडिंग का हॉटस्पॉट भारत से ही नहीं, विदेशो से भी शादी करने वाले जोड़े यहाँ आते हैं।

भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि पौराणिक कथाओं से जुड़े होने के कारण विवाह जैसे पवित्र बंधन के लिए आदर्श माने जाते हैं। भारत से ही नहीं, विदेशो से भी शादी करने वाले जोड़े यहाँ आते हैं।  त्रियुगी नारायण मंदिर में शादी करना अब कपल्स की लिस्ट में टॉप वेडिंग डेस्टिनेशन में शामिल हो चुकी है।

घूमने का सही समय

मार्च–अप्रैल  ताजगी और सुंदरता का मौसम होता है, जब प्रकृति पुनः जीवंत हो उठती है और आसपास का वातावरण रंग-बिरंगे फूलों से सजा होता है। तापमान: 10°C – 25°C रहता है, हल्की बारिश की संभव रहती है। 

मई–जून सबसे अनुकूल समय होता है, जब मौसम साफ और सुहावना रहता है और मंदिर तक पहुँचने के सभी रास्ते पूरी तरह खुले होते हैं।  तापमान: 15°C – 30°C रहता है|

जुलाई–सितंबर चारों ओर हरियाली रहती है। जब चारों ओर घने पेड़ों की हरियाली और बादलों की चादर सौंदर्य बिखेरती है। तापमान 15°C – 25°C रहता है| फोटोग्राफरों के लिए आदर्श समय है।

अक्टूबर–नवंबर दृश्य स्वर्णिम हो जाता है, जब साफ आसमान के साथ पेड़ों के पत्ते रंग बदलते हैं और वातावरण एक मनमोहक सौंदर्य प्रस्तुत करता है।  तापमान: 8°C – 20°C रहता है| दिसंबर–फरवरी) साहसी यात्रियों के लिए एक अनोखा अनुभव लेकर आती है, जब त्रियुगीनारायण मंदिर और गाँव बर्फ की चादर से ढक जाते हैं |  तापमान 5°C – 10°C रहता है|

कैसे पहुंचे

त्रिजुगी नारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। मंदिर की दूरी दिल्ली से लगभग 450-470 किमी है। दिल्ली से ऋषिकेश या हरिद्वार तक टैक्सी या बस ले सकते हैं। हरिद्वार या हरिद्वार से सोनप्रयाग के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं। सोनप्रयाग से त्रिजुगीनारायण करीब 5 किमी दूर है, जिसे जीप/शेयर टैक्सी या ट्रेकिंग से तय किया जा सकता है| सोनप्रयाग से आगे प्राइवेट गाड़िया नहीं चलती है। 

निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (लगभग 210 किमी दूर) या हरिद्वार रेलवे स्टेशन (लगभग 240 किमी दूर) है| दिल्ली से हरिद्वार/ऋषिकेश के लिए कई ट्रेनें चलती है|निकटतम हवाई अड्डाजॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून  है, दिल्ली से देहरादून के लिए कई दैनिक उड़ानें उपलब्ध  है।

 त्रियुगीनारायण मंदिर का इतिहास

पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह त्रिजुगीनारायण के मंदिर में संपन्न हुआ। स्वयं भगवान विष्णु ने देवी पार्वती के भाई के रूप में विवाह में भाग लिया और ब्रह्मा जी ने पंडित की भूमिका निभाई। आज भी मंदिर के सामने स्थित यज्ञ कुंड में वह अग्नि जल रही है, जिसमें शिव-पार्वती ने सात फेरे लिए थे। यज्ञ कुंड में  अखंड  धुनी जल रही है, इसलिए  मंदिर को अखंड धूनी मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के पास ही तीन कुण्ड भी है। 

ब्रह्माकुण्ड:- इस कुण्ड में ब्रह्मा जी ने विवाह से पूर्व स्नान किया था व स्नान करने के पश्चात विवाह में प्रस्तुत हुए।

विष्णुकुण्ड:- विवाह से पूर्व विष्णु जी ने इस कुण्ड में स्नान किया था।

रुद्रकुण्ड:- विवाह में उपस्थित होने वाले सभी देवी-देवताओं ने इस कुण्ड में स्नान किया था।मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था। मंदिर स्थापत्य शैली में केदारनाथ मंदिर जैसा दिखता है। मंदिर में भगवान विष्णु (नारायण) की चांदी की 2 फुट की प्रतिमा है, जिसमें उनकी पत्नी – धन की देवी लक्ष्मी और संगीत और शिक्षा की देवी – सरस्वती भी हैं । भक्त ज्वाला में लकड़ी डालते हैं और आशीर्वाद के रूप में राख एकत्र करते हैं। 

डेस्टिनेशन वेडिंग

आज के समय में डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है, और ऐसे में उत्तराखंड त्रिजुगीनारायण मंदिर का एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन वेडिंग हॉटस्पॉट बन चुका है। देश विदेश से लोग सनातन परंपराओं के अनुसार विवाह करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। अब तक यहां अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, गायक हंसराज रघुवंशी के साथ ही कई हस्तियां सात फेरे ले चुके हैं।

त्रियुगीनारायण मंदिर में विवाह करने के लिए पूर्व रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है। विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया ₹1100 की शुल्क राशि के साथ शुरू होती है। इस प्रक्रिया में माता-पिता की अनुमति अनिवार्य है। कपल्स को अपने आधार कार्ड की प्रतिलिपि और सक्रिय मोबाइल नंबर के साथ मंदिर समिति में आवेदन जमा करना होता है।

मंदिर समिति द्वारा दस्तावेज़ों की पुष्टि के बाद विवाह के लिए एक निश्चित तिथि निर्धारित की जाती है, जिसकी जानकारी कपल को पहले से दे दी जाती है। तय तिथि पर विवाह धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार मंदिर प्रांगण में संपन्न कराया जाता है।

मंदिर के पास काई होटल और रिजॉर्ट है जहां विवाह के और समारोह कराए जाते हैं। होटल के साथ-साथ वेडिंग प्लानर, मंगल टीमों और ढोल दमौ वादकों को बुक करवा सकते हैं या वेडिंग पैकेज बुक करवा सकते है।अगर आप अपने विवाह को सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि एक पवित्र संस्कार के रूप में देखना चाहते हैं, तो त्रिजुगीनारायण मंदिर से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता। यह न केवल आपको शिव-पार्वती के आशीर्वाद से भर देता है, बल्कि प्रकृति और धर्म के संगम में बंधे इस विवाह स्थल की स्मृतियाँ जीवनभर साथ रहती हैं।

फूलों की घाटी – जहां हर 15 दिन में घाटी बदलती है रंग


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts