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लैंसडाउन

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अगर आप ऊंची ऊंची और शांत पहाड़ियों में समय बिताना चाहते हैं तो दिल्ली से सिर्फ 7 घंटे दूर उत्तराखंड का छोटे से शहर लैंसडाउन एक अच्छी जगह है।  ऊँचे ऊँचे पहाड़ो और पाइन के पेड़ों से घिरी ये जगह बहुत शांत और साफ सुथरी है। यहाँ का मौसम सर्दियाँ और गर्मियाँ दोनों ही समय अच्छा रहता है।

लैंसडाउन, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है, यह एक छावनी क्षेत्र है। नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार है, कोटद्वार से लैंसडाउन की दूरी 40 किमी है यहां से शेयरिंग टैक्सी ले सकते हैं| दिल्ली से कोटद्वार के लिए सीधी बस चलती है, लगभाग 218 किमी की दूरी है। यहां से नजदिकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट देहरादून है। एयरपोर्ट से लैंसडाउन की दूरी 142 किमी है|

यहां घुमने के लिए सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसम अच्छे हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण मौसम ठंडा ही रहता है और धुंध छाई रहती है। कभी-कभी सर्दियो मैं बर्फ़बारी भी हो जाती है।

भुला ताल बहुत प्रसिद्ध है जो एक मानव निर्मित झील है जहां पर्यटक नौकायन करते हैं साथ ही इसके आस-पास का दृश्य बहुत ही मनोरम है।

टिप इन टॉप  एक व्यू प्वाइंट है यहां से बर्फ से ढकी हुई हिमालय की चोटियां देखी जा सकती है साथ ही छोटे-छोटे गांव दिखाई देते हैं जो दृश्य बहुत सुंदर लगता है|

सेंट मैरी चर्च 100 साल पुराना चर्च है, यह चर्च विक्टोरियन शैली की वास्तुकला से बना है। चर्च के अंदर एक (wishing well) वाइज़िंग-वेल भी है जहां सिक्का डाल कर मनोकामना मांगते हैं|

दरवान सिंह म्यूजियम यह एक वॉर म्यूजियम है| जहां म्यूजियम  में प्रवेश की इजाजत दी गई है। दरवान सिंह संग्रहालय में सेना के मार्शल राइफल्स रेजिमेंट द्वारा लड़े गए विभिन्न युद्धों के स्मारक संग्रहों को चित्रित किया गया है। यहां पाकिस्तान से मुद्रा और शाही शासन से संबंधित झंडे भी देख सकते हैं। यहां फोटो खींचना और वीडियोग्राफी करना मना है|

अगर आपकी ट्रेकिंग में रुचि है तो आप भीम पकोड़े का ट्रेक कर सकते हैं। ये 2 किमी का ट्रेक है, ट्रेक के रास्ते में सुंदर-सुंदर पेड़ और छोटी नदी भी मिलती है टेढ़े-मेढ़े रास्ते होते हुए भीम पकोड़ा पहुंचते है, य दो बड़े पत्थरों को एक के ऊपर एक सही संतुलन में  हैं। ऊपर की चट्टान को एक उंगली से हिलाया जा सकता है लेकिन दोनों हाथों से धक्का देने पर भी यह कभी नीचे नहीं गिरती।

लैंसडाउन से 37 किमी की दूरी पर तारकेश्वर मंदिर स्थित है। यह मंदिर देवदार और चीड़ से ढका हुआ है | यह भगवान शिव का मंदिर हैं। मंदिर परिसर में ठहरने के लिए धर्मशाला स्थित है|

लैंसडाउन जाने के लिए रास्ते में कोटद्वार पड़ता है यहां का सिद्धबली मंदिर घूम शक्ति है, ये हनुमान का मंदिर है, मान्यता है कि यहां हनुमान जी यहां बाल रूप में प्रकट हुए थे, कोटद्वार से आगे दुर्गा देवी मंदिर पड़ता है ये मंदिर एक नदी के किनारे स्थित है|लैंसडाउन में बहुत सारे होटल, रिसॉर्ट या होम स्टे रहने के लिए मिलते हैं, यहाँ नदी किनारे कैम्पिंग भी कर सकते हैं| यहां का स्थानीय खाना गहत की दाल, मंडुए के रोटी, भट्ट की दाल जरूर खाएं। 

लैंसडाउन को ब्रिटिश द्वारा बसाया गया है। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे, इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है।

लैंसडाउन एक शांत और खूबसूरत पहाड़ी स्थल है, जहां प्रकृति की सुंदरता को महसूस किया जा सकता है। यदि आप शांति और प्राकृतिक सौंदर्य की तलाश में हैं, तो लैंसडाउन आपके लिए एक आदर्श यात्रा गंतव्य हो सकता है।

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