घास के मैदान के बीच में प्राकृतिक झील बर्फ से ढकी हुई, हिमाचल की पराशर झील – जहां तैरता है द्वीप | अगर आप ऐसे ही मनोरम दृश्य का आनंद लेना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थिति प्रसार झील एक अच्छा विकल्प है।ट्रैकिंग के साथ-साथ यह फ़ोटोग्राफ़ी भी कर सकते हैं ये ट्रेक ख़ूबसूरत पहाड़ो और घास के मैदानो से होते हुए पराशर झील तक पहुँचते हैं।
घूमने का सही समय

पराशर लेक जाने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से जून तक और सितंबर से नवंबर तक है। अगर आपको बर्फ से ढके हुए पहाड़ देखने हैं तो दिसंबर से फरवरी तक जा सकते है। जुलाई से सितंबर तक बारिश के मौसम में जाना जोखिम भरा हो सकता है।
कैसे पहुंचे
पराशर झील हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मंडी शहर से 50 किमी की दूरी पर स्थित है। नजदिकी हवाई अड्डा भुंतर हवाई अड्डा है, यहां से मंडी के लिए बस या कैब किराए पर ले सकते हैं। मंडी से बागी गांव के लिए बस या कैब ले सकते हैं यहां से पराशर झील का ट्रैकिंग पॉइंट शुरू हो जाता है। भुंतर हवाई अड्डे से पराशर झील की दूरी 60 किमी है। नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है यहां से मंडी के लिए बस या कैब किराए पर लें, जो लगभाग 55 किलोमीटर की दूरी पर है| सड़क मार्ग से जाने के लिए दिल्ली से मंडी तक सीधी बस मिलती है यहां से बस या कैब ले सकते हैं। बागी गाँव से 16 किमी का ट्रेक है अगर ट्रेक नहीं करना है तो प्रसार झील तक कैब बुक कर के जा सकते हैं। लेक से कुछ दूर पहले ही कैब को रोक दिया जाता है।
पराशर लेक ट्रेक

बागी गाँव से शुरू होता हुआ ये 16 किमी का ट्रेक, अपने आप में बहुत दिलचस्प ट्रेक है। ये एक कठिन यात्रा है। ट्रेक के लिए सुबह जल्दी निकल ले और शाम होने से पहले मंजिल मैं पहुच जाए ये पहाड़ी रास्तों और जंगल से होते हुए जाता है, बीच में मैं घास के मैदान भी आएगे कोशिश करे कि साथ में कोई स्थानीय व्यक्ति हो या गाइड को साथ में ले जाए। ट्रेक के लिए मार्च से जून तक का समय सबसे अच्छा है। दिसंबर से फरवरी के बीच बर्फ़ रहती है तो फ़िसलने का डर रहता है। अगर ट्रेक पे आओ तो ट्रेकिंग शूज़, गर्म कपड़े, दवा और खाने का सामान साथ में जरूर रखें। पानी साथ मैं रखे, बीच में एक ही पानी का स्रोत है।
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हिमाचल की पराशर झील – जहां तैरता है द्वीप

मान्यता है कि ऋषि पराशर के रोड (गुर्ज) के हमले के परिणमस्वरूप पानी निकला और झील का रूप ले लिया, इस झील में एक द्वीप है जो कि टहलता रहता है। कुछ साल पहले ये द्वीप सुबह मुख्य पूर्व दिशा में रहता था और शाम में पश्चिम दिशा में लेकिन अब ये कुछ दिन तक एक ही जगह रहता है कभी जगह बदल देता है| यह स्थान ऋषि पराशर की तपोस्थली भी है, इसलिए इसका नाम पराशर झील पड़ा।
रोचक तथ्य-
- पराशर झील की गहराई का पता अभी तक कोई भी गोताघोर नहीं लगा पाया है।
- द्वीप झील का लगभग 21% है जबकि बाकी 79% पानी है, जिसका अनुपात यह है कि पृथ्वी का 21% क्षेत्र भूमि है और शेष 79% पानी है।
- इस झील का पानी ठहरता नहीं है, लेकिन इस ऊंचाई पर यह पानी कहां से आता है और कहां जाता है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पराशर ऋषि का मंदिर

झील के पास 3 मंजिल एक मंदिर स्थित है ये मंदिर पगोडा शैली में निर्मित ऋषि प्रसार को समर्पित है। ये मंदिर एक ही देवदार के पेड़ की लड़की से बना है। इसको बनने में 12 साल लगे थे | झील के आस पास लगने वाली घास जिसके बर्रे और जर्रे कहा जाता है इन्हें देवताओं के फूल कहते हैं इस मंदिर में प्रसाद के रूप में बर्रे और जर्रे मिलते हैं जिन्हे भगवान के आशीर्वाद के रूप में रखा जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में जो मन्नत मांगी जाती है वो पूरी होगी या नहीं ये जान सकते हैं, पुजारी चावल देते हैं, चावलों को हाथ में ले के मानत मांगते हैं अगर 1, 3, 5, 7 आदि चावल है तो मन्नत पूरी होगी और अगर 2, 4, 6, 8, आदि चावल हो तो मन्नत पूरी नहीं होगी |
उत्सव और मेले

यहाँ पर हर साल आषाढ़ की संक्रांति और भाद्रपद की कृष्णपक्ष की पंचमी को विशाल मेले लगते है | भाद्रपद में लगने वाला मेला पराशर ऋषि के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है|
रुकने के लिए वन रेस्ट हाउस, एचपीपीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस और मंदिर समिति के सराय है | अगर आपको ट्रैकिंग पसंद है और एक एडवेंचर ट्रैकिंग के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी हैं तो आपके लिए एक परफेक्ट ट्रेक हो सकता है हिमाचल की पराशर झील – जहां तैरता है द्वीप। और जब आप गंतव्य पर पहुंचोगे तो आपको घास के मैदान के बीच सुंदर झील मिलेगी। यहां आप रात में टेंट लगाकर प्राकृतिक मौसम व टिमटिमाते तारों को निहार सकते हैं| अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ यात्रा की योजना बना रहे हैं तो यहां की यात्रा आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।