अगर आप बर्फ की वादियों और प्रकृति में अपनी छुट्टियों का आनंद लेना चाहते हैं तो हर्षिल आपके लिए बहुत अच्छी जगह है। सेब के बागान और देवदार के जंगल से घिरा भागीरथी नदी के पास स्थित हर्षिल घाटी उत्तराखंड का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है| हर्षिल उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री मार्ग पर स्थित है
अगर आप बर्फ का आनंद लेना चाहते हैं दिसंबर से फरवरी का समय अच्छा है और अगर आप मार्च से जून तक जाते हैं तो यहां का मौसम बहुत अच्छा रहता है जून से सितंबर तक बारिश और लैंड स्लाइडिंग की वजह से जोखिम भरा हो सकता है। अक्टूबर और नवंबर में हल्की बर्फ़बारी और ठंड का मौसम रहता है|
हर्षिल पहुंचने के लिए सबसे नजदीक एयरपोर्ट जॉलीग्रांट है, यहाँ से हर्षिल की दुरी 247km है| और सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। ऋषिकेश से यहाँ की दूरी 244 किमी है, आप शेयरिंग कैब या बस ले सकते हैं। ऋषिकेश से आगे की यात्रा केवल सड़क मार्ग (बाय रोड) से की जा सकती है।

एप्पल फेस्टिवल
हर्षिल के एप्पल पूरे भारत में मशहूर है और यहां पर होने वाला एप्पल फेस्टिवल भी। एप्पल फेस्टिवल अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में 2018 से मनाया जाता है। एप्पल फेस्टिवल को मनाने का मुख्य कारण किसानों को समर्थन देना और विकास करना और पर्यटन को बढ़ावा देना है। यह उत्सव अपनी पूरी अवधि के दौरान विविध सांस्कृतिक गतिविधियों की पेशकश करता है। लोक संगीत और नृत्य प्रदर्शन, पारंपरिक कला और शिल्प प्रदर्शनियाँ, भोजन और व्यंजन प्रदर्शन, सांस्कृतिक कार्यशालाएँ, सांस्कृतिक जुलूस, कहानी सुनाना और लोकगीत सत्र शामिल हैं। इसके दौरान देहरादून से हर्षिल तक हेलीकॉप्टर सेवा संचालित की जाती है।
हर्षिल घाटी- उत्तराखंड का मिनी स्विट्जरलैंड
भागीरथी नदी के तट पर एक बेहद खूबसूरत जगह है। यहां से आप प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, साथ ही यादगार तस्वीरें भी ले सकते हैं| ऊँची- ऊँची पहाड़ियों से घिरी ये घाटी जंगली जनवारों और पक्षियों का भी घर है, यहाँ हिमालय में पाया जाने जाने वाला (Himalyan deer) बरड भी देखने को मिलते है।

बगोरी गांव
यहां का मुख्य केंद्र बगोरी गांव है, यहां पे जाड़ भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं, 1962 में जब भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था तो सीमा पर बसे जादुंग और नेलांग गांव को खाली करवा दिया गया। ऐसे में लोग बगोरी गांव में आकर बस गए। इस गांव में आपका पारंपरिक घर देखने को मिला है, यहां से आप भेड़ के ऊनो से बने गरम कपड़े और हाथ से बनी वस्तुएं खरीद सकते हैं। यहाँ पर आप उत्तराखंड के पारंपरिक खाना खाना ना भूले। बागोरी गांव को 23 दिसंबर 2017 को भारत सरकार द्वारा प्रथम गंगा ग्राम और स्वच्छ भारत पुरस्कार से सम्मानित किया गया

लांबा टॉप
अगर आपको ट्रैकिंग पसंद है तो लांबा टॉप आपके लिए आकर्षण का केंद्र है। लगभग 2 किमी का ट्रैक है, आप बहुत खूबसूरत जगह पर पहुंच सकते हैं। इस ट्रैक के रास्ते में आपको बहुत खूबसूरत पहाड़ी दिखेगी और जब आप ट्रैक कर के लांबा शीर्ष पर पहुंच जाएंगे तो वहा आपको अलग ही सुकून और शांति का एहसास होगा यहां से आपको पूरा उत्तरकाशी और हर्षिल दिखेगा जहां का दृश्य बहुत ही मन मोहक होता है

हर्षिल में ठहरने और खाने की बेहतरीन सुविधाएं
हर्षिल में रुकने के लिए आपको होटल, रिसॉर्ट और होम स्टे मिल जाएंगे। बगोरी गांव में भी आपको होम स्टे मिल जाएगा जहां आपको पारंपरिक भोजन के साथ पारंपरिक घरों में रहने का अनुभव मिलेगा। यहाँ पे सेब का बगीचा भी मिलेगा।
राम तेरी गंगा मैली फिल्म की शूटिंग हर्षिल में ही हुई थी, बगोरी गांव के पोस्ट ऑफिस का दृश्य भी फिल्म में दिखाया गया है, टूरिस्ट यहां आ के जरूर फोटो क्लिक करवाते हैं, आप जब भी जाएं तो पोस्ट ऑफिस के साथ फोटो क्लिक करवाना ना भूले|
फेडरिक विल्सन जो ईस्ट इंडिया कंपनी में कर्मचारी थे हर्षिल घाटी पाहुचे उन्हे बहुत पसंद आया तो उन्होंने नौकरी छोड़ी और यह एक बांग्ला बनवाया बाद में यहाँ के ही पास के गाँव मुखवा की एक लड़की से शादी कर ली। इंग्लैंड से यहाँ सब की अलग-अलग अलगियाँ मांगवाई, आज भी यहां सेब की एक प्रजाति विल्सन के नाम से प्रसिद्ध है।

हर्षिल जाने के लिए गर्म कपडे साथ में जरूर ले जाए और अगर आप लंबा टॉप की ट्रैकिंग करते हैं तो स्पोर्ट्स शो जरूर कैरी करें। यहाँ गढ़वाली बोली बोली जाती है और लोकल फ़ूड में मंडुवे की रोटी, फनू, कांडली का साग, थिकुवानी, झंगोर की खीर, हर्षिल की राजमा आदि ज़रूरूर खाये
हर्षिल की ख़ूबसूरत वादियाँ मैं आप शहर की भीड़ से दूर हूँ और उत्तराखंड की प्रकृति से जुड़ सकती हूँ। छुट्टियाँ मुख्य परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए यह बहुत अच्छी जगह है। हर्षिल के आस-पास घुमने के लिए सात ताल का ट्रेक, मुखवा गांव, धराली, गंगोत्री, गंगोत्री नेशनल पार्क, गगनानी आदि है जहां प्रकृति का आनंद लिया जा सकता है|