अगर आप साहसिक यात्रा करने का प्लान कर रहे हैं तो तुंगनाथ दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित शिवजी का मंदिर आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। शहर के भीड़-भाड़ से दूर शांत वादियां में एडवेंचर कैंपिंग, ट्रैकिंग, साइक्लिंग का मजा ले सकते हैं। ये यात्रा आपके लिए साहसिक यात्रा के साथ-साथ धार्मिक भी है, तुंगनाथ शिवजी का मंदिर है और अगर आपको बर्फ में ट्रैकिंग करनी है तो सर्दियां मुख्य तुंगनाथ का ट्रेक आपके लिए सबसे अच्छी है |
घूमने का सही समय
चोपता-तुंगनाथ जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से अप्रैल है यहाँ का मौसम बहुत सुहान रहता है रात को साफ आसमान में टिमटिमाते तारे देख सकते हैं। अगर आपको बर्फबारी का मजा लेना है तो दिसंबर से फरवरी तक का समय सबसे अच्छा रहेगा इस समय ऊंचे-ऊंचे पहाड़ बर्फ की चादर ओढ़े रहते हैं बर्फ में ट्रेकिंग और कैंपिंग करने का अपना अलग ही मजा है |
कैसे पहुंचे
चोपता-तुंगनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में है। यहां जाने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून, ऋषिकेश हैं यहां से शेयरिंग टैक्सी या बस ले सकते है, सीधे बस चोपता तक नहीं जाती उखीमठ, गुप्तकाशी और गोपेश्वर तक जाती है यहां से आगे शेयरिंग टैक्सी ले सकती है। नजदीकी हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है। देहरादून से चोपता लगभग 246 किमी और ऋषिकेश से लगभग 185 किमी दूर है।

तुंगनाथ- दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित शिवजी का मंदिर
तुंगनाथ ट्रेक 4 किमी के ट्रेक के बाद पंचकेदार में से एक केदार तुंगनाथ मंदिर पे पहुँच जाओगे, ये सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। ये मंदिर 1000 साल पुराना है, मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था। सर्दियों के दौरान ये जगह बर्फ से बिल्कुल ढक जाती है, जिस वजह से तुंगनाथ मंदिर के कपाट छह महीने के लिए बंद रहते हैं।

देवोरिया ताल
देवोरिया ताल ट्रेक सेरी गाँव से 3 किमी का ट्रेक कर के आप देवदार के पेडों से घिरे ताल मैं पहुँच जाएँगे। ये जगह कैपम्पिंग के लिए फेमस है। डेवेरिया ताल में बहुत ही शांत और सुन्दर पर्यावरण रहता है। यहाँ से आप चौखम्बा के पर्वत भी देख सकते हैं। अगर आप परिवार के साथ आ रहे हैं या पहले कभी ट्रैकिंग नहीं की है तो आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि यह एक आसान ट्रेक है।

कांचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य
कांचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य अगर आपको उत्तराखंड के राज्य पशु को देखना चाहिए तो आपको इस अभयारण्य में जरूर जाना चाहिए। चोपता से 7 किमी की दूरी पर ये अभयारण्य है जो कस्तूरी मृग और विभिन्न दुर्लभ किस्म के फूल देखे जा सकते हैं। ये पार्क 5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फ़ैला हुआ है, जहां आप पूरे दिन घूम सकते हैं। ये पार्क पूरा साल खुल रहता है इसका टिकट 50 रुपये प्रति व्यक्ति है |

चंद्रशिला
चंद्रशिला ट्रेक तुंगनाथ मंदिर से 2 किमी के ट्रेक पर आप चंद्र शिला शिखर पर पहुँच सकते हैं। यहां से नंदादेवी, त्रिशूल, केदार चोटी, बंदरपूछ और चौखम्बा आदि देखे जा सकते हैं जो दृश्य बहुत ही मनोरम होता है। ये ट्रेक सर्दियां और भी रोमांच हो जाता है जब चारों ओर बर्फ से ढाकी हुए पर्वत दिखते हैं | पौराणिक कथाओ के अनुसर रावण का वध करने के बाद ब्राह्मण हत्या दोष से मुक्त होने के लिए भगवान राम ने यहां भगवान शिव की आराधना की थी। इसके साथ एक और कथा प्रचलित है जब चांद को क्षय रोग का श्राप मिला था तो इसी शिला पर चंद्रमा ने शिवजी का ध्यान किया था, इसके बाद इस शिला का नाम चंद्र शिला पड़ा। इसको चाँद मून रॉक भी कहा जाता है |

दुगलबिट्टा
दुगलबिट्टा उखीमठ से चोपता जाने के लिए चोपता से 7 किमी पहले एक खुबसूरत हिल स्टेशन आता है। दुग्गलबिटा का अर्थ है दो पहाड़ों के बीच का स्थान। अंग्रेजों के समय का एक बंगला भी यहीं है। कुछ समय से ये हिल स्टेशन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चूका है।
क्या खाये
अगर आप चोपता-तुंगनाथ आते हैं तो स्थानीय खाना (गढ़वाली खाना) जरूर चखें, यहां मंडुआ की रोटी, झंगोरे की खीर,गहत की दाल आदि जरूर खाएं| उत्तराखंड के जंगलों में जाने वाला फल काफल भी खाए ये स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।
चोपता तुंगनाथ यात्रा साहसिक, धार्मिक और ऐतिहासिक भी है। यहा की यात्रा आप परिवार, मित्र या एकल यात्रा भी कर सकते हैं तो अगर कुछ नया अनुभव लेना चाहते हो तो यहा की यात्रा जरूर करें।